Vande Mataram Lata Mangeshkar Original Version | Independence Day Special Song | Desh Bhakti Song - Lata mangeshkar Lyrics
Singer Lata mangeshkar
Song Writer Bankim chandra chattopadhyay

वन्दे मातरम् VANDE MATARAM Lyrics In Hindi


वन्दे मातरम् VANDE MATARAM Lyrics In Hindi



वन्दे मातरम् 

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् 

शस्यशामलां मातरम् ।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं 

फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं 

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं 

सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। 

वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले

कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, 

अबला केन मा एत बले ।

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं

रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।

 वन्दे मातरम् ।

 तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,

 तुमि मर्म त्वं हि प्राणा: 

शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, 

हृदये तुमि मा भक्ति, 

तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।।

 वन्दे मातरम् ।

 त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी 

कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,

 नमामि त्वाम् नमामि कमलां

 अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।।

 वन्दे मातरम् ।

 श्यामलां सरलां सुस्मितां 

भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।

 वन्दे मातरम् ।।


बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

दोस्तों वह गीत जो हमेशा से हम हिंदुस्तानियों के दिल की धड़कन में रहा है जिसकी स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भागीदारी रही वह गीत जिसमें करोड़ों हिंदुस्तानियों के रक्त में जोश भरने का काम किया इसे गाकर भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी झूल गए, सन 2003 में BBC World Service द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में उस समय तक की सबसे मशहूर 10 गीतों का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग 7000 गीतों को चुना गया था जिसमें 155 देशों ने भाग लिया था उसमें यह गीत ( वंदे मातरम Vande Mataram ) दूसरे स्थान पर था दोस्तों में बात कर रहा हूं बंकिम चंद्र चटर्जी का लिखा गया गीत वंदे मातरम (Vande Mataram) की ,


वन्दे मातरम् VANDE MATARAM Lyrics In Hindi

वंदे मातरम (Vande Mataram) दुनिया का वह गीत है जिसे सबसे ज्यादा बार अलग-अलग तरीकों से गाया गया है, यह बात है साल 1870 से 80 के दशक की जब अंग्रेज सरकार ने सारे सरकारी दफ्तरों समारोहों में "GOD SAVE THE QUEEN" नाम का एक गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था दोस्तों उस वक्त बंकिम चंद्र चटर्जी एक सरकारी अधिकारी थे जो अंग्रेजों के अधीन डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे उनको यह बहुत बुरा लगा और उनको एक जिद्द सूझी कि हम हिंदुस्तानियों का भी कोई ऐसा गीत होना चाहिए जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक हो जो पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोए रखें उन्होंने निश्चय किया कि अब मैं एक ऐसा गीत लिखूंगा और जिसके चलते साल 1870 में
उन्होंने इसके विकल्प के तौर पर एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया "वंदे मातरम" शुरुआत में इसमें केवल दो ही पद रखे गए थे जो संस्कृत में थे कहा जाता है कि उन्होंने यह गीत सियालदह से अपने घर नैहाटी आते वक्त ट्रेन में लिखा था जब 1882 में उन्होंने आनंदमठ उपन्यास की रचना की तब इस गीत को भी उसमें शामिल कर दिया यह उपन्यास अंग्रेजी शासन के अत्याचारों और अकाल से मर रही जनता को जागृत करने के लिए था इस उपन्यास में उन्होंने इस गीत में कुछ और पद बड़ा दिए जो बंगाली भाषा में थे जिनमें मां दुर्गा की आराधना की गई थी दोस्तों क्योंकि यह उपन्यास अंग्रेजी तंत्र के खिलाफ था इसलिए अंग्रेजों ने बंकिम चंद्र चटर्जी की इस पुस्तक
पर प्रतिबंध लगा दिया और उसकी सारी प्रतियां जलाकर नष्ट करवा दी लेकिन इसकी मूल प्रति सुरक्षित रही फिर बंकिम चंद्र चटर्जी ने इस उपन्यास को कई टुकड़ों में बांटकर छपवाया

और इस तरह से इस उपन्यास को लोगों तक पहुंचते-पहुंचते कई साल लग गये 

बंकिम चंद्र चटर्जी की एक बेटी थी जिनसे अक्सर यह कहती थी कि आपका यह गीत जिसमें आपने अत्यंत ही कठिन शब्दों का प्रयोग किया है यह गीत लोगों को समझ नहीं आएगा

तो बंकिम चंद्र चटर्जी उससे एक ही बात कहते थे कि भले ही आज तुम्हें यह गीत ( वन्देमातरम vande matram समझ नहीं आ रहा है लेकिन कुछ दिनों बाद यही गीत भारत का राष्ट्रगान बनेगा और भारतवासियों में यह जोश भरने का काम करेगा यह गाना भारत का राष्ट्रगान बन पाता उससे पहले बंकिम चंद्र चटर्जी की मृत्यु हो गई उनकी मृत्यु के बाद वह जो कह कर गए थे वह सब सच साबित हुआ और धीरे-धीरे यह गीत संपूर्ण भारत में लोकप्रिय हो गया सन 1896 में पहली बार से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया दोस्तों इसके बाद यह गीत अपनी चरम सीमा पर तक पहुंचा जब 1905 में अंग्रेजों ने हिंदू-मुस्लिम के आधार पर बंगाल के दो टुकड़े कर दिए थे संप्रदाय के आधार पर
अंग्रेजों द्वारा भारत में किया गया यह पहला बंटवारा था वंदे मातरम के उद्घोष के साथ इसका पूरे देश में विरोध हुआ इसके बाद से यह गीत हर सभा में हर कार्यक्रम में रोज गाया जाने लगा अंग्रेजों को इस गीत से चिढ़ होने लगी और उन्होंने इसे गाने पर प्रतिबंध लगा दिया उनकी चिढती वजह से क्रांति वीरों को इससे और ज्यादा जोश आने लगा और वह इसे उतना ही ज्यादा गाने लगे खुदीराम बोस भारत के सबसे कम उम्र के फांसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी थे 18 साल के क्रांतिवीर को फांसी दी जा रही थी तभी यशवीर ने वंदेमातरम कहते हुए फांसी का फंदा अपने गले में डाल लिया इसके बाद से हर क्रांतिकारी ने अपनी फांसी से पहले वंदे मातरम गाया चाहे वह भगत सिंह हो राम प्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला खां हो और चाहे उधम सिंह अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़ने वाली मातंगिनी हजरा की जुबान पर आखिरी शब्द वंदे मातरम ही थे दोस्तों भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाने के बावजूद जब राष्ट्रगान के चयन की बात आई तो वंदेमातरम के स्थान पर रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखे गए जन गण मन को वरीयता दी गई इसकी वजह यह थी कि कुछ मुसलमानों को वंदे मातरम गाने पर आपत्ति थी क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा का जिक्र किया गया है जो कि इस्लाम किसी विशेष व्यक्ति की पूजा का विरोधी है अतः इन सब को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरुआती 2 पदों को जो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गए
केवल उन्हीं पदों को राष्ट्रगीत के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा
हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत के सभी मुसलमानों को इस पर आपत्ति है या सभी हिंदू इसे गाने पर जोर देते हैं कुछ साल पहले प्रसिद्ध संगीतकार ए आर रहमान ( AR Rehman ) ने जो खुद एक मुसलमान हैं वंदे मातरम को लेकर एक संगीत एल्बम तैयार किया था जो आज बहुत लोकप्रिय है दोस्तों सच बात तो यह है कि आज वंदे मातरम राजनीति के कुचक्र में बुरी तरह से फस चुका है और यही कारण है कि इसे वह गौरव वह सम्मान नहीं मिल पाया जिसका यह हकदार है दोस्तों और अंत में मैं उन सारे स्वतंत्रता सेनानियों देशभक्तों और शहीदों को याद करते हुए अपनी मातृ भूमि की वंदना में यह गीत गाना चाहता हूं वंदे मातरम वन्देमातरम ( VANDE MATARAM )

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धन्यवाद (जय हिन्द)

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